प्रधानमंत्री के अथक प्रयासों को पलीता लगाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है रेल प्रशासन

एक तरफ देश के प्रधानमंत्री ने #कोविद19 के प्रसार को रोकने के लिए पूरे भारत में 21 दिन का लॉकडाउन करने का गंभीर निर्णय लिया और सभी पक्ष-विपक्ष को साथ लेकर देश को इस गंभीर संकट से उबारने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके अंतर्गत देश में समस्त परिवहन प्रणाली के संचालन पर 14 अप्रैल तक रोक लगा दी गई है। भारत की लाइफ लाइन कही जाने वाली भारतीय रेल के पहिए तक थम गए सिवाय मालगाड़ी परिवहन के, जिनके माध्यम से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

दूसरी तरफ खबर आ रही है कि सभी जोनों द्वारा अपने अपने खाली रेक उन जगहों से वापस मंगाए जा रहे हैं, जहां पर जाकर उनके रेक फंस गए थे। अब लगभग सभी रेलों में सारी अव्यवस्था इसी मूर्खतापूर्ण निर्णय के कारण हो रही है, क्योंकि जो भी खाली रेक वापस आ रहे हैं, उनमें लगभग 500 से 1000 तक यात्री भी भरकर आ रहे हैं।

Isliye doori hai bahut jaroori

अब प्रश्न यह उठता है कि जब सारे स्टेशन सील कर दिए गए हैं, तो फिर ये लोग इतनी बड़ी संख्या में ट्रेनों में प्रवेश कैसे कर जा रहे हैं? साफ है कि सुरक्षा व्यवस्था में कोई भारी सेंध लगा रहा है अथवा लोगों की मजबूरियों का दोहन किया जा रहा है। सवाल यह है कि ये लोग कोरोना संक्रमण से कैसे बचेंगे और क्या इन लोगों के कारण संक्रमण नहीं फैलेगा?

विश्वसनीय सूत्रों से जानकारी मिली है कि रेल प्रशासन अपनी कमजोरी छुपाने के लिए बता रहा है कि जो भी लोग यात्रा कर रहे हैं, वे रेलवे के ही कर्मचारी हैं, जो कि सरासर झूठ है। यदि ये रेल कर्मचारी ही हैं, तो ये कौन सी ड्यूटी करने जा रहे हैं? जब देश के प्रधानमंत्री ने कह दिया कि जो जहां हैं, वहीं रहें, तो फिर पीएम के इस अनुरोध, जिसे सरकारी भाषा में आदेश समझा जाता है, को रेल मंत्रालय पलीता क्यों लगा रहा है?

ऐसे में यह कहना पड़ेगा कि जिसने भी ये मूर्खतापूर्ण निर्णय लिया है, उसके विरुद्ध पीएमओ को कड़ा ऐक्शन लेना चाहिए। यदि खाली रेक ही मंगवाना था, तो इतनी जल्दी क्या थी? संपूर्ण रेल संचालन तो 14 अप्रैल तक बंद है। जब हफ्ता-दस में स्थिति सामान्य होती नजर आती, तब खाली रेक को वापस मंगा लिया जाता। 

बहरहाल रेल बंदी के समय भी हजारों की संख्या में यात्रियों को ट्रेनों में यात्रा की अनुमति देना कोरोना के संक्रमण को और फैलाने में योगदान ई देने जैसा ही है। जब देश की 99% जनता पूरी तरह जैसे है, जहां है, की तर्ज पर घरों में बैठी है, तब रेल प्रबंधन के मूर्खतापूर्ण निर्णय से प्रधानमंत्री के अभियान को पलीता लगाया जा रहा है।

अभी भी रेलवे के विभिन्न कामकाज के चलते रेलकर्मियों में सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन पूर्णतया नहीं हो रहा है। केवल आवश्यक सेवाओं के लिए न्यूनतम स्टाफ को ही उपस्थित रहने के नियम को भी तोड़ा जा रहा है। अन्य रेलकर्मी भी स्टेशनों पर भीड़ लगा रहे हैं, जिनकी कोई जरूरत ही नहीं है।

प्रशासनिक स्तर के अधिकारी और सुपरवाइजर भी स्टेशनों पर अनावश्यक दौड़ लगाकर भीड़ लगा रहे हैं, जिससे सामान्य कार्य संचालन के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा का भी अनुपालन सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है।

यदि #कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकना है, तो कृपया कुछ दिनों के लिए परिचालन, रेल सुरक्षा बल, मेडिकल, सफाई कर्मियों इत्यादि को छोड़कर अन्य लोग स्टेशन से दूरी बनाकर रहें और वर्क फ्रॉम होम के तहत कार्य करें, तो कुछ हद तक इस संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है, अन्यथा प्रधानमंत्री के तमाम अथक प्रयासों को पलीता लगाने में रेल मंत्रालय और अत्युत्साही रेल अधिकारी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।