भ्रष्ट यूनियन नेताओं के विरुद्ध कार्रवाई करने में रेल प्रशासन की भारी कोताही

“यही अपराध यदि किसी सामान्य रेलकर्मी ने किया होता, तो अब तक उसे बर्खास्त करके घर भेज दिया गया होता”

दिल्ली की किशनगंज रेलवे कॉलोनी (प्रथम) में वरिष्ठ अनुभाग अभियंता (एसएसई/वर्क्स) रघुवीर सिंह और साथ में बिजली विभाग के वरिष्ठ अनुभाग अभियंता/पावर सप्लाई दिल्ली किशनगंज प्रमोद कुमार तोमर दोनों ने मिलकर रेलवे के एक सरकारी आवास नंबर 23, ब्लॉक नंबर-1 पर कई वर्षों से अपना अवैध कब्जा कर रखा था।

इस मामले में एक कर्मचारी संदीप कुमार द्वारा की गई लिखित शिकायत के बाद जब विजिलेंस ने विभागीय जांच की तो दोनों ने उल्टा संदीप कुमार पर ही झूठा आरोप लगा दिया कि संदीप कुमार ने ₹2 लाख डिपॉजिट और ₹15000 महीने किराए पर दे रखा है।

तथापि विजिलेंस विभाग की जांच में उनके आरोप सही साबित नहीं हुए और संदीप कुमार को विजिलेंस ने क्लीन चिट दे दी। जांच में दोनों एसएसई को दोषी पाया गया और इसके फलस्वरूप रघुवीर सिंह को अंबाला और प्रमोद कुमार तोमर का ट्रांसफर मुरादाबाद मंडल में कर दिया गया।

परंतु इन दोनों ने वहां ज्वाइन करने के बजाय इस इंटर डिवीजन ट्रांसफर को गलत बताते हुए दिल्ली कैट में पिटीशन दायर कर दी। पिटीशन में भी उन्होंने संदीप कुमार पर झूठे आरोप लगाते हुए दस्तावेज लगाए हैं।

उधर दिल्ली किशनगंज रेलवे कालोनी (प्रथम) में रेलवे के सरकारी आवास, ब्लॉक नंबर 1, आवास नंबर-23 से उठाकर रेलवे सरकारी आवास नंबर-1, ब्लॉक नंबर-17 पर अपना सामान पर रख लिया। इसके लिए भी रोकने का झूठा आरोप उन्होंने संदीप कुमार पर लगाया है।

इसके बाद रेलकर्मी संदीप कुमार ने इस पूरे मामले पर एक वीडियो बनाकर डीजी/आरपीएफ सहित दिल्ली पुलिस कमिश्नर आदि सभी संबंधित अधिकारियों को भेजा तथा डीआरएम दिल्ली को भी उचित कार्रवाई के लिए लिखा है। परंतु आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जबकि अधिकारियों के आशीर्वाद से रघुबीर सिंह तीस हजारी में और प्रमोद कुमार तोमर डीआरएम आफिस दिल्ली में पूरी मौज-मस्ती से नौकरी कर रहे हैं।

रेलकर्मी संदीप कुमार का कहना है कि “2016 से लेकर आज तक विभागीय शह पर हो रहे यूनियन पदाधिकारियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ मैं यह लड़ाई लड़ता आ रहा हूं, लेकिन यहां सच्चाई का साथ कोई भी नहीं दे रहा है। रघुवीर सिंह और प्रमोद कुमार तोमर दोनों सुपरवाइजर होने के साथ ही यूआरएमयू (बीसीयूनियन) के नेता भी हैं, इसीलिए कोई भी अधिकारी उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने से बच रहा है, जबकि यही अपराध यदि उसके जैसे किसी सामान्य रेलकर्मी ने किया होता, तो रेल प्रशासन द्वारा बहुत पहले उसे बर्खास्त करके घर भेज दिया गया होता।”

Do watch the video:

Misuse of Power by Railway SSE/Works and no action taken by the Northern Railway administration.

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