टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्य अधिकारियों की हकीकत!

जनता की कमाई पर लक्जरी सुविधाएं भोगकर, महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर बैठ देश और जनता की ही जड़ें कुतरते हैं ये सरकारी चूहे

“सरकार में बैठे आस्तीन के सांप” शीर्षक से प्रकाशित खबर पर कई वरिष्ठ अधिकारियों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इस खबर ने आस्तीन के सांपों में भारी हलचल भी मचाई है। पता चला है कि ऐसे सभी समाज विरोधी, देश विरोधी सरकारी चूहों ने अपनी तमाम सोशल मीडिया पोस्टों को डिलीट करना शुरू कर दिया है।

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “आनंद मधुकर जैसे घोर पूर्वाग्रही और जहरीले अधिकारी जब चुनाव आयोग में काम करेंगे और बाद में जब वहां से बाहर आ जाएंगे, तब ये जो भी झूठ फैलाएंगे, वह प्रामाणिक ही माना जायेगा। ये वो लोग हैं जो येन-केन-प्रकारेण देश विरोधी, समाज विरोधी, बहुसंख्यक विरोधी टुकड़े-टुकड़े गैंग की पार्टियों को सत्ता में लाने की खुलेआम वकालत करते हैं, ऐसे लोग चुनाव आयोग में जाकर क्या गुल खिलायेंगे, इसका अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है।”

उन्होंने कहा, “और यदि मान लें कि जनता ने इनकी मंशा के विरुद्ध अपना जनमत दिया, तो इन्हें चुनाव आयोग की साख मटियामेट करने में तनिक भी समय नहीं लगेगा। ये लोग देशी प्रारूप हैं रेहना और ग्रेटा के!”

उनका तीखा सवाल यह भी है कि पता नहीं टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोगों को सभी महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर ‘प्लांट’ कौन करता है?”

टुकड़े-टुकड़े गैंग के इन कुटिल अधिकारियों की एक खासियत यह भी है कि ये जिंदगी भर न तो किसी सरकारी आर्गेनाईजेशन में सार्थक काम करते हैं, और न ही समाज और व्यवस्था के लिए कभी उपयुक्त साबित होते हैं, लेकिन शास्त्रार्थ में ये सबको शिक्षा देंगे और सब में नुक्स निकलेंगे।

इसके अलावा इनकी यह भी एक खास पहचान है कि अपने घर में बूंदी के दो दाने भी किसी को नहीं देंगें, लेकिन दूसरे के घर के लड्डू और रसगुल्ले की साइज परखेंगे और उस पर छोटा होने की टिप्पणी भी करेंगे। उसे नीचा दिखाने में कोई कसर भी नहीं छोड़ेंगे।

जिंदगी भर मलाई और ऐश-ओ-आराम वाली पोस्टिंग लेकर दैहिक और भौतिक सुख का चरमसुख प्राप्त करना ही इनका एकमात्र और परम उद्देश्य होता है।

“बड़ी-बड़ी बातें करने वाले इस तरह के अधिकारियों के लिए उनके मातहतों की हैसियत कुत्ते से ज्यादा नहीं होती, जो अपनी एक सुविधा में तनिक सी भी खलल पड़ते ही सबकी खाल खींच लेने पर उतारू हो जाते हैं।” यह होती है असल में इनकी असलियत, एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।

उन्होंने आगे कहा कि “लेकिन सोशल मीडिया पर और आमने-सामने की चर्चा में ये कम्जर्फ लोग ऐसी-ऐसी बातें करेंगे जिस पर आपको नानक, कबीर, तुलसी आदि सब इनके सामने तुच्छ, बौने और असफल दिखाई देने लगेंगे।”

अंत में उनका कहना था कि “इनकी हकीकत सिर्फ उनको ही पता है जो इनके साथ रात-दिन काम करते हैं, उठते-बैठते हैं, अथवा उनको इनकी हकीकत पता है जिनके लिए ये काम कर रहे हैं और देश को, समाज को, टुकड़े-टुकड़े में देखना चाहते हैं।”

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